दुर्घटना होने पर क्लेम करने हेतु जानकारियां
किसी भी वाहन से दुर्घटना होने पर संबंधित क्षेत्र थाना प्रभारी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाती है। एफ आई आर दर्ज करने की 30 दिन के अंदर दुर्घटना सूचना रिपोर्ट थाना प्रभारी द्वारा तैयार कर मोटर एक्सीडेंट कोर्ट में जमा की जाती है। इन दस्तावेजों में एफ आई आर. कॉपी ,दुर्घटना स्थल फोटो ,संबंधित वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस ,इंश्योरेंस पॉलिसी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट (मृत्यु की स्थिति में) घायल होने का प्रमाण पत्र भी होता है । घायल का नाम और पता भी दिया जाता है। इसी तरह दुर्घटना सूचना रिपोर्ट और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों की प्रतियां इंश्योरेंस कंपनी को भी दी जाती है। ताकि संबंधित इंश्योरेंस कंपनी क्षतिपूर्ति प्रदान करने में आवश्यक कार्यवाही कर सकें। मोटर एक्सीडेंट कोर्ट दुर्घटना सूचना रिपोर्ट को ही क्लेम के दावे के रूप में स्वीकार करती है। और अलग से भी पिटिशन की आवश्यकता नहीं होती है मुआवजे की कोई नियत राशि तय नहीं की गई है।
यह केस के तथ्यों पर निर्भर करता है इस राशि को तय करने के लिए अदालत बहुत सी बातों को ध्यान देती है। क्षति मानसिक और शारीरिक दोनों ही की तरह की हो सकती है सभी श्रेणियों को ध्यान में रखते हुए अदालतें मुआवजे की राशि तय करती हैं। मानसिक क्षति, शारीरिक क्षति, भविष्य में कमाने की क्षमता पर मुआवजे की राशि निर्भर करती है। अगर किसी व्यक्ति की उंगली कट गई है तो उसे उस व्यक्ति की तुलना में कम पैसा मिलेगा। जिसका हाथ कट गया है मुआवजे की राशि कई कारकों पर निर्भर करती है। पीड़ित की आयु, पीड़ित की आय, आश्रितों की संख्या, चिकित्सा खर्च,। पीड़ा चोट के कारण पीड़ित तथा उसके परिजनों को जो दुख पहुंचा मानसिक आघात पहुंचा उसके लिए उन्हें मुआवजा दिया जाता है। प्रत्येक दुर्घटना में जब किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचती है तो उसे क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसी प्रकार मोटर दुर्घटना संबंधित सभी मामलों में पीड़ित व्यक्ति को या उसके परिवार को मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त होता है।
एडवोकेट दीपाली पांडेय